Homeप्रमुख खबरेंयह तो प्रदेश की 48 प्रतिशत महिला वोटरों का अपमान होगा

यह तो प्रदेश की 48 प्रतिशत महिला वोटरों का अपमान होगा

-प्रवीण दुबे-

मध्यप्रदेश में जोरदार जीत के बाद अब मुख्यमंत्री पद को लेकर मंथन शुरू हो गया है ,यह सच है कि भाजपा ने चुनाव से पहले शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तुत नहीं किया था लेकिन अब प्रचंड जीत के बाद यह सवाल भी बलवती हो उठा है कि जिस प्रकार चुनाव में लाड़ली बहना योजना ने चमत्कार किया है इसके बाद मुख्यमंत्री  पद के लिए क्या भैय्या शिवराज के अलावा किसी और नाम पर मंथन करना प्रदेश की 48 प्रतिशत महिला मतदाताओं का अपमान नहीं होगा ?

भाजपा के मध्यप्रदेश की सत्ता पर पुनः काबिज होने के बाद प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री को लेकर सरगर्मियां तेज हैं । जैसी की जानकारी मिल रही है मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज से इतर प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा,पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय,केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ,नरेंद्र तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नामों पर विचार किया जा सकता है।

जैसी की पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व की परंपरा रही है उसके अनुसार कोई बिलकुल नया नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए सामने लाया जा सकता है।

लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव से पहले भले ही पार्टी ने शिवराज को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था बावजूद इसके क्या उनके अलावा मुख्यमंत्री पद के लिए किसी अन्य नेताओं के नामों पर विचार करना क्या न्याय संगत कहा जाएगा ?

सर्वविदित है की विधानसभा चुनाव से पूर्व पूरी की पूरी भाजपा मध्यप्रदेश में शिवराज के खिलाफ एंटीइक्मबेंसी को लेकर भारी चिंता में थी और केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसे मेहसूस करते हुए शिवराज की जगह मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था।

सत्ता  छिनने के इस टेंशन के बीच वह शिवराज ही थे जिन्होंने चुनाव से 5 माह पूर्व लाड़ली बहना योजना को लॉन्च किया था। इतना ही नहीं शिवराज ने इस लाड़ली बहना योजना की अपने स्तर पर न केवल शानदार ब्रांडिंग की बल्कि इसको इंप्लीमेंट लागू कराने के लिए सरकारी तंत्र का जबरदस्त इस्तेमाल भी किया।

इसी का परिणाम था कि यह योजना बेहद कम समय में धरातल पर उतर सकी और महिलाएं चुंबक की तरह से शिवराज और भाजपा की तरफ आकर्षित हुईं।

वह शिवराज ही थे जिन्होंने इस योजना से आकर्षित महिलाओं की भीड़ के सामने रैंप पर घूम घूम कर योजना को एक हजार से तीन हजार तक पहुंचाने का ऐसा अभिनय युक्त प्रचार किया कि महिलाएं अपने भैया शिवराज के लिए आरती के थाल सजाकर निकल पड़ीं और प्रदेश की इन्ही 48 प्रतिशत महिला वोटरों के सामने एंटी इंकम्बेंसी से लेकर शिवराज विरोधी सत्ता  के सारे मुद्दे मोथरे होकर रह गए। और 3 दिसंबर को शिवराज की  यही लाड़ली बहना जब ईवीएम से बाहर निकली तो पूरे देश के होश उड़ गए।

मध्यप्रदेश में पांच माह पूर्व बह रही हवा को मोड़ने का संपूर्ण श्रेय शिवराज को ही दिया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं कहना चाहिए और बदली हुई इस हवा को प्रधानमंत्री मोदी ने आंधी में तब्दील करने का काम किया।

इस प्रकार मध्यप्रदेश में मिले जनादेश के पीछे शिवराज और 48 प्रतिशत महिला वोटरों के सामंजस्य और विश्वास को भुलाया नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति में शिवराज की जगह किसी दूसरे चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो प्रदेश के 48 प्रतिशत महिला वोटरों के विश्वास को चोट पहुंचेगी जो पार्टी के लिए ठीक नहीं कही जा सकती है। मध्यप्रदेश के प्रचंड जनादेश के पीछे महिला शक्ति का शिवराज के प्रति विश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका है यही कारण है कि सत्ता का ताज शिवराज के सिर ही बंधना चाहिए।

 

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