भारत में कल यानी 10 जनवरी से प्राथमिकता वाले समूहों को कोरोना की तीसरी खुराक लगेगी। कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को कोरोना वैक्सीन की डोज दिए जाने का ऐलान किया था। इसके अलावा पात्र लोगों को कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने की भी घोषणा की थी। सरकार इसे बूस्टर के बजाय प्रिकॉशन (एहतियाती) डोज कह रही है।
जहां 15 से 18 आयु वर्ग के लिए वैक्सीन तीन जनवरी से लगना शुरू हो गया है वहीं अब पात्र आबादी के लिए 10 जनवरी से तीसरी खुराक दिए जाने का कार्यक्रम शुरू हो रहा है। Co-WIN ऐप पर प्रिकॉशन डोज के लिए रजिस्ट्रेशन 8 जनवरी से शुरू हुआ था।
ये रही कोविड प्रिकॉशन डोज से जुड़ी हर जानकारी
1. फ्रंटलाइन वर्कर्स और कोमोरबिडिटी वाले वरिष्ठ नागरिक तीसरी खुराक के लिए पात्र हैं।
2. एहतियाती खुराक लेते समय डॉक्टर के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है, लेकिन एहतियाती खुराक लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
3. दूसरी और तीसरी खुराक के बीच 9 महीने का अंतर होना चाहिए। इसलिए, यदि आपने अप्रैल 2021 के पहले सप्ताह तक अपनी दूसरी खुराक प्राप्त कर ली है, तो ही केवल आप एहतियाती खुराक के लिए पात्र होंगे। अन्यथा, आपको अपनी दूसरी खुराक प्राप्त किए 39 सप्ताह होने तक प्रतीक्षा करनी होगी।
4. अगर आपने पहली दोनों खुराक कोविशील्ड ली हैं तो आपकी तीसरी खुराक भी कोविशील्ड ही होगी। कोवैक्सीन को लेकर भी यही नियम है। सरकार ने टीकों के मिक्स करके लगाने की अनुमति नहीं दी है।
5. Co-Win पर नए पंजीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है। साइट से अपॉइंटमेंट बुक किए जा सकते हैं। अन्यथा, वॉक-इन की भी अनुमति है।
6. मतदाता पहचान पत्र, आधार, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त डॉक्यूमेंट्स हैं। यानी तीसरी खुराक लेते समय आप इन डॉक्यूमेंट्स को दिखा सकते हैं।
7. सरकारी अस्पतालों में प्राथमिकता वाले इन समूहों का टीकाकरण निःशुल्क है।
बूस्टर खुराक कितनी महत्वपूर्ण है?
कई देश अपने लोगों को बूस्टर खुराक दे रहे हैं। भारत में इसे बूस्टर डोज नहीं बल्कि ऐहतियाती डोज नाम दिया गया है। इस तीसरी खुराक को लगाने का निर्णय कोविड-19 मामलों के हालिया वैश्विक उछाल को देखते हुए लिया गया है। भारत में भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और 24 नवंबर को सामने आए ओमिक्रॉन वैरिएंट को इसका कारण माना जा रहा है। टीका लगाए गए लोग भी संक्रमित हो रहे हैं क्योंकि ओमिक्रॉन में ऐसे वायरस हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा ढाल से बच सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि पिछले संक्रमण से या टीकाकरण के बाद से प्रतिरक्षा भी लोगों में कम हो रही है।