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चित्रकूट से अयोध्या के लिए प्रस्थान हुई प्रभु राम की चरण पादुका

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरण पादुका को चित्रकूट से अयोध्या ले जाने के लिए सोमवार को साधु-संतों ने पूजा-पाठ कर प्रस्थान किया. कहते हैं कि भगवान राम जब अपने वनवास के साढ़े 11 वर्ष के काल में चित्रकूट आए थे तब उनके साथ माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी आए थे. तभी से चित्रकूट को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है. चित्रकूट की पावन धरती से सोमवार को भगवान राम की चरण पादुका अयोध्या के लिए रवाना की गई.

भगवान राम के चरण पादुका का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि जब वो अपने वनवास काल में से साढ़े 11 वर्ष चित्रकूट में थे तब उनके अनुज भरत यहां पहुंच कर श्रीराम को अयोध्या वापस लौट चलने के लिये मना रहे थे. लेकिन प्रभु राम ने अपने भाई के साथ अयोध्या चलने से मना कर दिया. सभी प्रयत्न विफल होने के बाद अंत में भरत ने अपने बड़े भाई श्रीराम से कहा कि आप अपने चरण पादुका दे दीजिए ताकि अयोध्या में राजपाट चल सके. क्योंकि राजा दशरथ के स्वर्गवास होने के बाद राज्य चलाने की जिम्मेदारी बड़े भ्राता राम को निभानी थी. भरत श्रीराम के सिवा किसी को अयोध्या का राजा बनता नहीं देखना चाहते थे. ऐसे में भरत ने प्रभु राम से तभी कहा था कि आप अपने चरण पादुका दे दीजिए. चरण पादुका का राज्याभिषेक कर के सिंहासन पर रख दिया जाएगा. भरत ने भगवान राम के चरण पादुका चित्रकूट से अयोध्या ले जाकर उसका विधिवत पूजा-पाठ किया था. इसीलिए चित्रकूट के पावन धरती से प्रभु राम की चरण पादुका आज अयोध्या के लिए प्रस्थान हुई है.

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