ग्वालियर की छह विधानसभा सीटों में से एक भितरवार एकबार फिर भाजपा के लिए परेशानी का सबब बनती दिखाई दे रही है। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं एक तो यहां से भाजपा को अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस प्राप्त करना और दूसरा मजबूत प्रत्याशी का चयन करना। उल्लेखनीय है कि भितरवार विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने से पूर्व यह गिर्द विधानसभा छेत्र के रूप में जानी जाती थी । यहां से भाजपा के कद्दावर नेता अनूप मिश्रा ने कांग्रेस के बड़े नेता के रूप में स्थापित बालेंदु शुक्ल को मात देकर यहां खासी पकड़ बनाई थी। यही वजह थी कि पिछले चुनाव में अनूप मिश्रा ने यहां से ताल ठोकी लेकिन वे पार्टी की आंतरिक राजनीति के जाल में फंस गए । भाजपा ही के बागी नेता व इस इलाके में किसानों के बीच अच्छी पकड़ रखने वाले बृजेन्द्र तिवारी को निर्दलीय रूप से यहां से खड़ा कर दिया गया परिणामस्वरूप तिवारी ने भाजपा के वोट काटे और अनूप मिश्रा हार गए। इसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिला और यहां से उसका प्रत्याशी जीत गया।
वर्तमान की बात की जाए तो भितरवार विधानसभा में भी दोवदारों की लंबी फेहरिस्त देखने को मिल रही है। इस विधानसभा से पूर्व विधायक बृजेन्द्र तिवारी एवं पूर्व विधायक जवाहर सिंह रावत टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं। वहीं किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत और सांसद अनूप मिश्रा के यहां से चुनाव लड़ने की अटकलें भी सियासी गलियारों में जोरों पर है। ¸ सूत्रों की माने तो पूर्व विधायक तिवारी इस बार भितरवार विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लडऩे की इच्छा जता रहे हैं। जिसको लेकर भोपाल से दिल्ली तक वे टिकट के लिए पूरी ताकत लगाते दिख रहे हैं। वहीं उनके समर्थक भी यह कहते दिख जाएंगे कि तिवारी जी की भाजपा में वरिष्ठ नेताओं से बातचीत चल रही है और इस बार वे भाजपा से मैदान में उतरेंगे।
लेकिन इसके साथ यह भी तय माना जा रहा है कि यदि बृजेन्द्र तिवारी को भाजपा से टिकिट नहीं मिलता है तो वे अपने स्वभाव के अनुसार निर्दलीय अथवा किसी अन्य दल से ताल ठोंककर पिछलीबार की तरह भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते है। देखना यह होगा भाजपा नेतृत्व इस समस्या से कैसे निपटता है। यह क्षेत्र इसकारण से भी सबकी नजर में है क्योंकि यहां से मध्यप्रदेश शासन के मंत्री और पार्टी के बड़े नेता जयभान सिंह का गृह ग्राम चीनोर भी आता है साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का सांसद ग्राम भी इसी विधानसभा में है,ऐसे में इन नेताओं की प्रतिष्ठा भी यहां से जुड़ी है।