सम्पादकीय
कोरोना महामारी से देशवासियों को लड़ते अब एक माह से अधिक समय हो चुका है। विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य संगठन WHO की हाल ही में जारी रिपोर्ट पर गौर करें तो इसमे कहा गया है की कोरोना संक्रमण अभी लम्बे समय तक समाप्त होने वाला नहीं है और दुनिया को इसी अनुसार जीवन जीने की आदत डाल लेना चाहिए। इस टिप्पणी को सामने रखकर यदि हम भारत की समीक्षा करें तो हमें इस एक महीने के लॉक डाउन में जो कुछ देखने को मिला है वह बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। इसमें कतई सन्देह नहीं की भारत में लॉक डाउन के दौरान डॉक्टर, पुलिस, सफाई कर्मी सहित तमाम कोरोना वारियर्स बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और यही वजह है की कोरोना जंग में उठाए गए कदमों को लेकर पूरी दुनिया भारत की प्रशंसा कर रही है। लेकिन इसके साथ एक कड़वा सच यह भी है की भारत में बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस जंग में अपने कार्य व्यवहार से परेशानी का कारण बना हुआ है।
देशभर में जमातियों ने कैसे कोरोना फैलाया सबने देखा, देश में जारी लॉक डाउन की तमाम लोग कैसे धज्जियां उड़ाते हैं यह भी रोज देखने को मिल रहा है। देश के तमाम छोटे बड़े शहरों में कैसे सोशल डिस्टेंसिंग को नजरअंदाज किया जा रहा है। कैसे हमारे कोरोना वारियर्स के साथ मारपीट व अभद्रता होती है यह भी परेशान कर देने वाली समस्या बनी हुई है । आखिर कब तक सरकारी मशीनरी के सहारे यह जंग लड़ी जा सकेगी ?
जहां तक सरकारी तंत्र का सवाल है अधिकांश लोग बखूबी अपनी जिम्मेदारी गम्भीरता से पूरी कर रहे हैं लेकिन वहां भी समय समय पर कुछ ऐसी लापरवाहियां सामने आ जाती हैं जो इस जंग को कमजोर कर देती हैं।
ऐसी ही एक चूक मंगलवार को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में देखने को मिली , स्थानीय प्रशासन ने बड़ी मुस्तेदी से ग्वालियर की सभी सीमाएं सील कर रखी हैं । बावजूद इसके एक युवक दिल्ली से ट्रक में सवार होकर ग्वालियर में प्रवेश करता है और बेरोकटोक अपने घर तक जा पहुंचता है। जब पड़ोसियों को पता चलता है तो इसकी जानकारी सरकारी तंत्र को दी जाती है। युवक को अलग से रखा जाता है ओर कोरोना जांच कराई जाती है,दो दिन बाद रिपोर्ट आने पर युवक का कोरोना संक्रमण पॉजिटिव आता है। अब प्रशासन के हाथ पैर फुले हुए हैं और पूरे इलाके में अलर्ट कर दिया गया है। यहां ऐसा पहली बार नहीं हुआ दिल्ली मरकज की घटना के बाद ग्वालियर में भी तमाम जमाती प्रवेश करके छुपे पाए गए थे।
सबसे बड़ा सवाल यह है की वह युवक हो या जमाती पहले तो दिल्ली से ग्वालियर तक कैसे पहुंचे? और जब ग्वालियर की सभी सीमाएं सील हैं तो यह लोग शहर के भीतर अपने घरों तक या अन्य ठिकानों तक कैसे जा पहुंचे ? अब पूरे ग्वालियर पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। यदि ग्वालियर की सीमा पर सरकारी तंत्र पूरी तरह मुस्तेद होता तो कोरोना मरीज को शहर में प्रवेश करने से पूर्व ही रोककर पता लगा लिया जाता।
कमोबेश विविध स्तर पर जारी इन लापरवाहियों पर लगाम बेहद जरूरी है। पुलिस प्रशासन हो आमजन हो अथवा तमाम कोरोना वॉरियर्स अपने अपने स्तर पर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। ग्वालियर पुलिस प्रशासन भी पूरी तन्मयता से इस लड़ाई में जुटा है बावजूद जो गलतियां सामने आ रही है वह बेहद निदनीय कही जा सकती हैं। कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए की कोरोना जंग के आपदकाल में इन गलतियों के बेहद गम्भीर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। अतः पूर्ण सजगता के साथ यह सब रोकना होगा तभी हम कोरोना के खिलाफ जंग को जीत पाएंगे।