सम्पादकीय
किसी ने सही ही कहा है एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं , अब भला उस स्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल है जब तलवारों की संख्या दो से ज्यादा हो जाए ? इस कहावत को मध्यप्रदेश की राजनीति से जोड़ कर देखें तो हाल ही में सत्ता से धराशायी हुए कमलनाथ के पराभव के पीछे यही मुख्य वजह थी की वहां कई तलवारें आपस में टकरा रहीं थीं। अब दूसरी और भाजपा की बात करें तो मध्यप्रदेश की सत्ता तो प्राप्त हो गई लेकिन कमोबेश कांग्रेस की तरह अब यहां भी एक नहीं कई धारदार तलवारें चमचमा रही हैं। हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए बड़े नेता ज्योतिरादित्य की तलवार की धार भी कितनी दमदार है इसका प्रमाण तो चंद दिनों में ही सामने आ गया है। इससे मुख्यमंत्री शिवराज कितने आहत हुए यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा परन्तु जो सामने दिख रहा है उसके अनुसार ज्योतिरादित्य की दिल्ली दरबार में दमदार लामबंदी के कारण शिवराज को अपना फैसला बदलना पड़ा है।
आप सोच रहे होंगे आखिर हम कहना क्या चाहते हैं तो जनाब यह समझने के लिए मध्यप्रदेश में सत्ता से जुड़ी पिछले चार पांच दिनों के घटनाक्रम पर नजर दौड़ानी होगी। मुख्यमंत्री ने जब कोरोना संकट का हवाला देकर प्रदेश के तमाम जिलों में प्रभारी के रूप में जनप्रतिनिधियों की जगह नोकरशाही को तैनात किया तो अंदर ही अंदर भाजपा के ही तमाम लोगों को यह पसन्द नहीं आया। इसके तुरंत बाद यह खबर आग की तरह फैली की शिवराज ने कोरोना महामारी के मद्देनजर बड़े मंत्रिमंडल की जगह मिनी कैबिनेट तैयार की है और इसे 20 अप्रैल तक शपथ दिलाई जा सकती है।
पहले से ही तमाम जनप्रतिनिधियों की अनदेखी कर कोरोना जंग में अकेले ताल ठोंक रहे शिवराज से अनमने नेताओं को मिनी कैबिनेट का फार्मूला बिल्कुल पसंद नहीं आया। तलवारें खनखनानें लगीं ,आश्चर्य की बात यह रही की चतुर राजनीतिज्ञ होने के बावजूद शिवराज को यह आवाज सुनाई नहीं दी। देखते ही देखते कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली दरबार जा पहुंचे और मन को परेशान कर रही पीढ़ा से हाईकमान को अवगत कराया। सूत्रों का कहना है की भाजपा हाईकमान ने इसे गम्भीरता से लिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया की समस्या से शिवराज को अवगत कराया गया।
अर्थ साफ था शिवराज सरकार में उन नेताओं को जगह मिले जिन्होंने कमलनाथ को पदच्युत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हुआ भी यही सूत्रों की मानें तो अब शिवराज सिंह का मिनी कैबिनेट के द्वारा सरकार चलाने का प्लान वापस लेना पड़ा है।
जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया की कोशिश रंग ले आई है। शिवराज सिंह चौहान 10 मंत्रियों का मिनी मंत्रिमंडल बनाना चाहते थे परंतु लिस्ट में 20 से ज्यादा मंत्रियों के नाम है। इनमें से 6 ज्योतिरादित्य सिंधिया के और 3 वह नाम शामिल हैं जिन्हें सत्ता परिवर्तन से पहले वचन दिया गया था।
खबर आ रही है कि नए मंत्रिमंडल के लिए शपथ ग्रहण की तैयारियां शुरू हो गई है। यह एक औपचारिक सामान्य समारोह होगा। इस तरह के आयोजन के लिए राजभवन हमेशा तैयार होता है। कुछ अन्य तैयारियां 17 अप्रैल को दोपहर बाद शुरू हो गई। इन्हीं तैयारियों के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि मंत्रिमंडल में 20 से ज्यादा लेकिन 27 से कम मंत्री होंगे।
इस सम्पूर्ण घटनाक्रम के बाद अब राजनीतिक विश्लेषकों ने इसका विश्लेषण प्रारंभ कर दिया है भले ही यह एक सामान्य राजनीतिक घटना थी लेकिन राजनीति में छोटी से छोटी बात के निहितार्थ निकाले जाते हैं और फिर उसपर तमाम सवाल भी खड़े होते हैं फ़िलहाल तो जो सवाल उठ खड़ा हुआ है उसमें कहा जा रहा है अब क्या करेंगे शिवराज भारी पड़ गए महाराज ।